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Monday 8 November 2010

मुफ्त सब्जी..

रलदू , जद मैं मंडी म्ह
सूट की बजाये गंदे कपड़े पैहर कै
जाऊं तो सब्जी सस्ती मिलै सै |
घुग्घू, तू हाथ म्ह कटोरा लेकै जाया कर |
तन्नै सब्जी मुफ्त मिल ज्याआ करैगी ||

+मानस दीप+

घर की मुंडेर पर
जीने में बने दीवट पर
प्रांगन में प्रहरी
तुलसी के बिरवे के तले
देवालय में प्रस्तर प्रतिमा के आगे
कहां - कहां न जलाए
दीप माटी के
संस्कृति - घाटी के
हमने हमारे पुरखों ने
युगों से यह परम्परा भली -दीप से दीपावली बनती चली |
पर तमस हुआ विलुप्त नहीं
अब भी फासला घनाकार ,
द्वंद्व द्वेष का अंधकार |
तरंगे अनाचार की उत्ताल ,
डूब रहा राम का भाल |
नई प्रतिमाएं गढने से पहले
धर्मधाम नए बनाने से पूर्व
आओ ! राम का मुकुट बचा ले
थाली में दीप जलाने से पहले
जरा मानस दीप जला लें |


ओमीश परुथी,

Sunday 7 November 2010

* गजल *

अरे दोस्त मुझे भूल जाना यह मुमकिन नहीं |
मगर कोशीस से भुलाता रहूँगा ||
सताएगा जब भी गम तुम्हारा |
सकी को दुःख सारा बताता रहूँगा ||
जब जब तेरी याद से दर्द होगा |
पियासे से प्याला उठता रहूँगा ||
खुदा रूठ जायगा तो सकी के दर पे |
मैं सिजरे में सर को उठता रहूँगा ||
ऐ दोस्त इतना न तू गुसा कर |
मै तेरे ही दर पे आता रहूँगा ||
अगर मोत मुझको दर दे भी देगी |
तेरे गीत मुरबात गाता रहूँगा ||
मुझे याद करना चाहे भूल जाना |
मै खुद तेरे दर पे आता रहूँगा ||

*मंजिल *

चिराग कितने भी जले हो साये उन में भी बिछुड़ जाते है |
बस कही एक जुगनू चमका तो साये क्या मंजिल तक पहुँच जाते है ||

+ डाल्फिन +

इटली के अन्टार्टिक समुन्द्र में डूबता हुए 14 वर्षीय एक लड़के के लिए एक डाल्फिन ने तिनके का कम किया | यह लड़का अपने पिता के साथ नाव में घुमने गया था , लेकिन थोड़ी दूर जाने पर ही उसकी नाव पलट गई, लड़के को तरना नहीं आता था इसलिए वह डूबने लगा लेकिन तभी एक डाल्फिन ने आ के उसे बचा लिया |

* चाचा नेहरु *

चाचा नेहरु एक ऐसे व्यक्त्ति थे जो पुरे दिल और दिमाग से हिंदुस्तान और हिन्दुस्तानियों से मुहब्बत करते थे और हिन्दुस्तानी भी उसकी खाभिओं को भुलाकर उसको बेहद , अजहर मुहब्बत करते थे |

+इन्द्रा गाँधी जी का सन्देश +

"जनता ने फसला ले लिया है | हम कृतज्ञ है | इसलिए उसने अपना विशवास ऐसे शानदार परिणाम में हमें सोंपा है ,
यह वह घडी है जब हमें याद कर लेना है |हमारे आगे खड़े कार्यो को गरीबी और असमानता को घटने के |जो चींख हमें दी गयी है उसका नाम विजय नहीं बल्कि हुकम नाम है |यह अथक कार्य करने का, हमारी कथनों औरहमारे देश के प्रति निष्ठा के साथ सच्चा रहने का |